लोक अदालत से बंद हुआ मामला डिक्री/निर्णय के समान, उक्त आदेश को अदालतें वापस नहीं ले सकतीं, सीआरपीसी की धारा 362 के तहत प्रतिबंध लागू होगा : कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक बार लोक अदालत में मामला बंद हो जाने के बाद यह एक डिक्री या निर्णय के समान होता है, इसलिए अदालत या मजिस्ट्रेट के पास उक्त आदेश को वापस लेने की शक्ति नहीं होती। न्यायमूर्ति के. नटराजन की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा, “एक बार जबContinueContinue reading “लोक अदालत से बंद हुआ मामला डिक्री/निर्णय के समान, उक्त आदेश को अदालतें वापस नहीं ले सकतीं, सीआरपीसी की धारा 362 के तहत प्रतिबंध लागू होगा : कर्नाटक हाईकोर्ट”

हायकोर्टाचा महत्त्वपूर्ण निर्णय ! ‘दलित व्यक्तीने क्रॉस घातल्यास किंवा चर्चमध्ये गेल्यास जात प्रमाणपत्र

अनुसूचित जाती, जमाती (Reservation for Scheduled Caste-Tribes- SC\ST) इतर मागासवर्गीय (OBC Reservation) समाजातील घटनकांना शिक्षण, नोकरी यामध्ये आरक्षण देण्यात आले आहे. आरक्षणाचा लाभ घेण्यासाठी त्यांना जातीचं प्रमाणपत्र (Caste certificate) सादर करणे अनिवार्य असतं. त्यासाठी काही निकष ठरवून दिले आहे. यासाठी चौकशी समितीही असते. चेन्नई येथील अशाच एका प्रकरणावर मद्रास उच्च न्यायालयात (High Court) सुनावणी झाली.ContinueContinue reading “हायकोर्टाचा महत्त्वपूर्ण निर्णय ! ‘दलित व्यक्तीने क्रॉस घातल्यास किंवा चर्चमध्ये गेल्यास जात प्रमाणपत्र”

Will a Criminal Case Against Me Affect My Career as a Judge: Through the Latest Judgment by SC

Key Takeaways Due to a lack of “honourable acquittal” in criminal cases, a candidate’s non-appointment to a judicial officer post was upheld by the Supreme Court. The case title is Rajasthan High Court v. Akashdeep Morya (CA 5733/2021). Justices KM Joseph and PS Narasimha heard the case in the Supreme Court. In judicial review, theContinueContinue reading “Will a Criminal Case Against Me Affect My Career as a Judge: Through the Latest Judgment by SC”

केवल चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी उनकी गवाही को खारिज करने का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी के आधार पर उनकी गवाही को खारिज नहीं किया जा सकता है। जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि यदि गवाहों ने आतंकित और भयभीत महसूस किया और कुछ समय केContinueContinue reading “केवल चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी उनकी गवाही को खारिज करने का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट”

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