पत्नी भले ही अपना व्यवसाय करके कमाती हो, फिर भी है वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार : बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में पुणे के एक 51 वर्षीय व्यक्ति की तरफ से दायर आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि भले ही पत्नी अपना व्यवसाय करती हो और उससे पैसे कमा रही हो, फिर भी वह गुजारा भत्ता या रखरखाव पाने की हकदार है। इस व्यक्ति ने फैमिली कोर्ट केContinueContinue reading “पत्नी भले ही अपना व्यवसाय करके कमाती हो, फिर भी है वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार : बॉम्बे हाईकोर्ट”

लोक अदालत के पास मैरिट पर मामले पर फैसला करने का कोई अधिकार नहींः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक बार जब यह पता चल जाता है कि पार्टियों के बीच समाधान या समझौता नहीं हो सका है तो लोक अदालत के पास मामले को मैरिट के आधार पर तय करने का कोई अधिकार नहीं है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा किContinueContinue reading “लोक अदालत के पास मैरिट पर मामले पर फैसला करने का कोई अधिकार नहींः सुप्रीम कोर्ट”

सिर्फ इसलिए कि आपराधिक मामलों के बारे में सही घोषणा की गई है, नियोक्ता को किसी उम्मीदवार को नियुक्त करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक नियोक्ता को केवल इसलिए उम्मीदवार को नियुक्त करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता क्योंकि उम्मीदवार ने आपराधिक मामलों की सही घोषणा की है। अदालत ने कहा कि नियोक्ता के पास उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास पर विचार करने का अधिकार है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेकेContinueContinue reading “सिर्फ इसलिए कि आपराधिक मामलों के बारे में सही घोषणा की गई है, नियोक्ता को किसी उम्मीदवार को नियुक्त करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट”

उपभोक्ता संरक्षण कानून: सेवा में कमी का साक्ष्य देने का भार शिकायतकर्ता पर है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, एक उपभोक्ता मामले में, सेवा में कमी का साक्ष्य देने का भार शिकायतकर्ता पर है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम ने कहा कि कमी के किसी भी साक्ष्य के बिना, सेवा में कमी के लिए विरोधी पक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। शिकायतकर्ता डॉल्फ़िन इंटरनेशनल लिमिटेडContinueContinue reading “उपभोक्ता संरक्षण कानून: सेवा में कमी का साक्ष्य देने का भार शिकायतकर्ता पर है: सुप्रीम कोर्ट”

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