“केवल पुरुष को दोषी ठहराने का कोई कारण नहीं”: कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि ‘स्वैच्छिक यौन संबंध’ पोक्सो कानून को आकर्षित नहीं करेगा

कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि यौन संबंधों का स्वैच्छिक कृत्य पोक्सो कानून, 2012 को आकर्षित नहीं करेगा। जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा, यदि संबंध की प्रकृति सहभा‌गिता की है तो केवल पुरुष को भिन्न यौनांग रचना के कारण आरोपित करने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट के मुताबिक, किसी व्यक्ति को पेनेट्रेटिव सेक्सुअल एसॉल्टContinueContinue reading ““केवल पुरुष को दोषी ठहराने का कोई कारण नहीं”: कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि ‘स्वैच्छिक यौन संबंध’ पोक्सो कानून को आकर्षित नहीं करेगा”

भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 22 : मारपीट के अपराध के अंतर्गत गंभीर चोट पहुंचाने पर क्या हैं प्रावधान

गंभीर चोट भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत धारा 320 गंभीर चोट की परिभाषा प्रस्तुत कर रही है। दंड सहिंता सभी प्रकार की चोट को गंभीर चोट नहीं मानती है, गंभीर चोट के लिए एक विशेष प्रारूप तैयार किया गया है जिसके अंतर्गत ही किसी चोट को गंभीर चोट माना जाता है।जब कोई चोट इस प्रारूपContinueContinue reading “भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 22 : मारपीट के अपराध के अंतर्गत गंभीर चोट पहुंचाने पर क्या हैं प्रावधान”

आपराधिक मुकदमा – विरोधाभास कैसे साबित करें? गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने उत्तर दिया

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने हाल ही में निचली अदालत के एक आदेश को बरकरार रखा, जिसमें उसने इस आधार पर एक याचिका खारिज कर दी थी कि बचाव पक्ष कानून के अनुसार गवाहों के विरोधाभासों को साबित करने में विफल रहा है। निचली अदालत द्वारा दर्ज इस तरह के निष्कर्ष की वैधता की जांच करतेContinueContinue reading “आपराधिक मुकदमा – विरोधाभास कैसे साबित करें? गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने उत्तर दिया”

निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 11 : अभिकरण (एजेंसी) किस प्रकार निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स लिख सकती है (धारा 27)

परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) जो तीन प्रकार के लिखत विनिमय पत्र, वचन पत्र, और चेक का उल्लेख करता है उनमे इस अधिनियम में लिखत के पक्षकारों और उनकी सक्षमता के साथ ही एक अभिकरण द्वारा लिखत लिखे जाने संबंधी प्रावधान भी उपलब्ध है। इस आलेख के अंतर्गत इस प्रकार से अभिकरणContinueContinue reading “निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 भाग 11 : अभिकरण (एजेंसी) किस प्रकार निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स लिख सकती है (धारा 27)”

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