1. कौन वादी के रूप में एक पक्षकार बन सकता है? CPC का आदेश 1 नियम 1 बताता है कि वो सभी व्यक्ति एक दावे में वादी के रूप में पक्षकार बन सकते है जो एक ही अधिनियम या लेनदेन या कृत्यों या लेनदेन की श्रृंखला के संबंध में या उससे उत्पन्न होने वाले किसीContinue reading "सिविल मुकदमों में कौन-कौन पक्षकार बन सकता या बनाया जा सकता है?"
सिर्फ बयानों में अंसगति होने पर गवाह पर सीआरपीसी की धारा 193 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक गवाह पर भारतीय दंड संहिता (सीआरपीसी ) की धारा 193 के तहत इसलिए झूठी गवाही के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि उसने अदालत के समक्ष असंगत बयान दिया था। सीजेआई एनवी रमाना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अगर जानबूझकर झूठ नहीं बोला गया है तोContinue reading "सिर्फ बयानों में अंसगति होने पर गवाह पर सीआरपीसी की धारा 193 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट"
पीड़िता की जांघों के बीच किया गया पेनेट्रेटिव सेक्सुअल एक्ट IPC की धारा 375(c) के तहत परिभाषित ‘बलात्कार’ के समान: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब पीड़ित के शरीर को ऐसी सनसनी पैदा करने के लिए छेड़ा जाता है, जो पेनेट्रेशन (पेनेट्रेशन ऑफ एन ऑरफिस यानि एक छिद्र में प्रवेश) जैसी हो तो बलात्कार का अपराध आकर्षित होगा। जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस जियाद रहमान एए की खंडपीठ ने कहा, "... हमारेContinue reading "पीड़िता की जांघों के बीच किया गया पेनेट्रेटिव सेक्सुअल एक्ट IPC की धारा 375(c) के तहत परिभाषित ‘बलात्कार’ के समान: केरल हाईकोर्ट"
प्राथमिकी रद्द करना- मेरिट की विस्तृत जांच सीआरपीसी की धारा 482 के तहत जरूरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए आरोपों के गुण-दोषों (मेरिट) की विस्तृत जांच जरूरी नहीं है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहतContinue reading "प्राथमिकी रद्द करना- मेरिट की विस्तृत जांच सीआरपीसी की धारा 482 के तहत जरूरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया"
