बरी करने के आदेश को तभी पलटा जा सकता है जब ट्रायल कोर्ट का दृष्टिकोण न केवल गलत हो, बल्कि अनुचित और विकृत भी हो” : सुप्रीम कोर्ट

हाईकोर्ट द्वारा ट्रायल कोर्ट के बरी करने के आदेश को पलटने के मामले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि बरी करने की अनुमति तभी दी जा सकती है जब ट्रायल कोर्ट का दृष्टिकोण न केवल गलत हो, बल्कि अनुचित और विकृत भी हो। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठContinueContinue reading “बरी करने के आदेश को तभी पलटा जा सकता है जब ट्रायल कोर्ट का दृष्टिकोण न केवल गलत हो, बल्कि अनुचित और विकृत भी हो” : सुप्रीम कोर्ट”

मृत दामाद पर ‘ निर्भर ‘सास द्वारा दायर मोटर दुर्घटना दावा याचिका सुनवाई योग्य है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने मृत दामाद पर निर्भर सास द्वारा दायर मोटर दुर्घटना दावा याचिका सुनवाई योग्य है। जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा, “भारतीय समाज में सास का बुढ़ापे में अपनी बेटी और दामाद के साथ रहना और उसके भरण-पोषण के लिए अपने दामाद पर निर्भरContinueContinue reading “मृत दामाद पर ‘ निर्भर ‘सास द्वारा दायर मोटर दुर्घटना दावा याचिका सुनवाई योग्य है : सुप्रीम कोर्ट”

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा : एनडीपीएस की धारा 50 केवल निजी तलाशी के मामले में लागू

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के एक पुजारी को दोषी ठहराते हुए एक बार फिर कहा है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) की धारा 50 केवल निजी तलाशी के मामले में लागू होती है। अभियुक्त ने इस मामले में एनडीपीएस अधिनियम की धारा 50 के प्रावधानों पर अमल न किए जाने का मुद्दाContinueContinue reading “सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा : एनडीपीएस की धारा 50 केवल निजी तलाशी के मामले में लागू”

किशोर न्याय अधिनियम : किशोर न्याय बोर्ड या बाल कल्याण समिति द्वारा जो उम्र दर्ज की गई है, वही आरोपी की सही उम्र मानी जाएगी

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 के उद्देश्य के लिए, किशोर न्याय बोर्ड या बाल कल्याण समिति द्वारा उसके सामने लाए गए व्यक्ति की जो उम्र दर्ज की गई है, जो उस व्यक्ति की सही उम्र मानी जाएगी। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने जिला एवंContinueContinue reading “किशोर न्याय अधिनियम : किशोर न्याय बोर्ड या बाल कल्याण समिति द्वारा जो उम्र दर्ज की गई है, वही आरोपी की सही उम्र मानी जाएगी”

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