सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक गवाह पर भारतीय दंड संहिता (सीआरपीसी ) की धारा 193 के तहत इसलिए झूठी गवाही के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि उसने अदालत के समक्ष असंगत बयान दिया था। सीजेआई एनवी रमाना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अगर जानबूझकर झूठ नहीं बोला गया है तोContinueContinue reading “सिर्फ बयानों में अंसगति होने पर गवाह पर सीआरपीसी की धारा 193 के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट”
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भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 13 : झूठी गवाही देने और सबूत मिटाने के अपराध
मिथ्या साक्ष्य न्यायिक प्रक्रिया को शुद्ध रखना किसी भी राज्य का परम कर्तव्य है। मिथ्या साक्ष्य न्यायिक प्रक्रिया को दूषित कर देते हैं यदि इस प्रकार का साक्ष्य दिया जाता है या गढ़ा जाता है तो निसंदेह ही इस प्रकार का साक्ष्य किसी भी न्यायिक कार्यवाही को बर्बाद कर देगा। इससे दोषी व्यक्ति बच जाएंगेContinueContinue reading “भारतीय दंड संहिता (IPC) भाग 13 : झूठी गवाही देने और सबूत मिटाने के अपराध”
जब तक संदेह करने का कोई कारण न हो, आंखों से संबंधित साक्ष्य सर्वश्रेष्ठ साक्ष्य हैः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में एक आरोपी को बरी करने के हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि जब तक संदेह करने के कारण न हों, तब तक आंखों से संबंधित साक्ष्य को सबसे अच्छा सबूत माना जाता है। न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी की पीठ नेContinueContinue reading “जब तक संदेह करने का कोई कारण न हो, आंखों से संबंधित साक्ष्य सर्वश्रेष्ठ साक्ष्य हैः सुप्रीम कोर्ट”
