सीआरपीसी की धारा 125- सिर्फ इसलिए कि मां भी कमा रही है, पिता को बच्चों के भरण-पोषण से छूट नहींः दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जिन घरों में महिलाएं भी नौकरी कर रही हैं और पर्याप्त रूप से अपना भरण-पोषण करने में सक्षम हैं, वहां पति अपने बच्चों को भरण-पोषण प्रदान करने की जिम्मेदारी से स्वतः मुक्त नहीं हो जाता है। हाईकोर्ट द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता(सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत पारित भरण-पोषण केContinueContinue reading “सीआरपीसी की धारा 125- सिर्फ इसलिए कि मां भी कमा रही है, पिता को बच्चों के भरण-पोषण से छूट नहींः दिल्ली हाईकोर्ट”

कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करके प्राप्त की गई बच्चे की कस्टडी अमान्य घोषित करने योग्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय मूल के एक केन्याई नागरिक को बच्चे की कस्टडी सौंपने के आदेश को वापस ले लिया है। कोर्ट ने उक्त आदेश को “अवैध” और “अमान्य” घोषित कर दिया है। कोर्ट ने पाया कि आदेश पाने के लिए ‌केन्याई नागर‌िक धोखाधड़ी की और भौतिक तथ्यों को छुपाकर “अशुद्ध हाथों” से कोर्ट सेContinueContinue reading “कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करके प्राप्त की गई बच्चे की कस्टडी अमान्य घोषित करने योग्य: सुप्रीम कोर्ट”

पत्नी भले ही अपना व्यवसाय करके कमाती हो, फिर भी है वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार : बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में पुणे के एक 51 वर्षीय व्यक्ति की तरफ से दायर आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन पर सुनवाई करते हुए कहा कि भले ही पत्नी अपना व्यवसाय करती हो और उससे पैसे कमा रही हो, फिर भी वह गुजारा भत्ता या रखरखाव पाने की हकदार है। इस व्यक्ति ने फैमिली कोर्ट केContinueContinue reading “पत्नी भले ही अपना व्यवसाय करके कमाती हो, फिर भी है वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार : बॉम्बे हाईकोर्ट”

उपभोक्ता संरक्षण कानून: सेवा में कमी का साक्ष्य देने का भार शिकायतकर्ता पर है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, एक उपभोक्ता मामले में, सेवा में कमी का साक्ष्य देने का भार शिकायतकर्ता पर है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम ने कहा कि कमी के किसी भी साक्ष्य के बिना, सेवा में कमी के लिए विरोधी पक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। शिकायतकर्ता डॉल्फ़िन इंटरनेशनल लिमिटेडContinueContinue reading “उपभोक्ता संरक्षण कानून: सेवा में कमी का साक्ष्य देने का भार शिकायतकर्ता पर है: सुप्रीम कोर्ट”

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