सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान साक्ष्य की दृष्टि से अमान्य, दोषसिद्धि के लिए भरोसे लायक नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज बयान का इस्तेमाल केवल विरोधाभासों और/अथवा चूक को साबित करने के लिए किया जा सकता है।” सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत दर्ज बयान साक्ष्य की दृष्टि से अमान्य है और आरोपी की दोषसिद्धि के लिएContinueContinue reading “सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान साक्ष्य की दृष्टि से अमान्य, दोषसिद्धि के लिए भरोसे लायक नहीं : सुप्रीम कोर्ट”

अदालत विधायी भाषा का पुनर्लेखन नहीं कर सकती:सुप्रीम कोर्ट ने प्रसारकों के लिए कॉपीराइट एक्ट के नियम 29 (4) के तहत अग्रिम नोटिस शर्त के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया

प्रीम कोर्ट ने कॉपीराइट नियम, 2013 के नियम 29 (4) को चुनौती देते हुए कुछ प्रसारकों / एफएम रेडियो द्वारा दायर रिट याचिका में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक अंतरिक आदेश को रद्द कर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने सारेगामा इंडिया लिमिटेड बनाम नेक्स्ट रेडियो लिमिटेड औरContinueContinue reading “अदालत विधायी भाषा का पुनर्लेखन नहीं कर सकती:सुप्रीम कोर्ट ने प्रसारकों के लिए कॉपीराइट एक्ट के नियम 29 (4) के तहत अग्रिम नोटिस शर्त के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया”

MOTHER DO NOT HAVE ANY RIGHTS TO GIVE UP DAUGHTERS MAINTENANCE IN MUTUAL DIVORCE

On the recent Supreme Court Judgement Justice Indu Malhotra and Justice Uday Umesh Lalit ordered that mother do not has the power to give up daughters rights, especially the rights during mutual divorce.The court observed that “It was certainly open to the wife to give up any claim so far as maintenance or permanent alimonyContinueContinue reading “MOTHER DO NOT HAVE ANY RIGHTS TO GIVE UP DAUGHTERS MAINTENANCE IN MUTUAL DIVORCE”

लोक अदालत से बंद हुआ मामला डिक्री/निर्णय के समान, उक्त आदेश को अदालतें वापस नहीं ले सकतीं, सीआरपीसी की धारा 362 के तहत प्रतिबंध लागू होगा : कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक बार लोक अदालत में मामला बंद हो जाने के बाद यह एक डिक्री या निर्णय के समान होता है, इसलिए अदालत या मजिस्ट्रेट के पास उक्त आदेश को वापस लेने की शक्ति नहीं होती। न्यायमूर्ति के. नटराजन की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा, “एक बार जबContinueContinue reading “लोक अदालत से बंद हुआ मामला डिक्री/निर्णय के समान, उक्त आदेश को अदालतें वापस नहीं ले सकतीं, सीआरपीसी की धारा 362 के तहत प्रतिबंध लागू होगा : कर्नाटक हाईकोर्ट”

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