Justice M. R. Shah and Justice A. S. Bopanna of the top court observed that the Hindu Marriage Act provisions are for relief in terms of divorce etc between husband and wife only and no extension to the third party.The court while partly allowing the appeal had set aside the decision of the High Court,ContinueContinue reading “HMA: RELIEF IN TERMS OF DIVORCE ETC ONLY BETWEEN HUSBAND AND WIFE; NO EXTENSION TO THIRD PARTY”
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साक्ष्य अधिनियम की धारा 113ए के तहत विवाहित महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के अनुमान को आकर्षित करने की शर्तें: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 113-ए की प्रयोज्यता को आकर्षित करने के लिए, तीन शर्तों को पूरा करना आवश्यक है: 1. महिला ने आत्महत्या की है 2. ऐसी आत्महत्या उसकी शादी की तारीख से सात साल की अवधि के भीतर की गई है 3. आरोपित-अभियुक्त ने उसके साथ क्रूरता कीContinueContinue reading “साक्ष्य अधिनियम की धारा 113ए के तहत विवाहित महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के अनुमान को आकर्षित करने की शर्तें: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया”
पति का पत्नी के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ सेक्स करना अवैध नहीं: मुंबई कोर्ट ने जमानत याचिका में कहा
पत्नी ने अपने पति के खिलाफ जबरन संभोग की शिकायत की थी और क्रूरता का आरोप लगाया था, जिस पर मुंबई की एक सेशन कोर्ट ने कहा है कि व्यक्ति के कृत्यों को अवैध नहीं माना जा सकता क्योंकि वह उसका पति है। अदालत ने कहा कि यह “दुर्भाग्यपूर्ण” है कि युवति को लकवा होContinueContinue reading “पति का पत्नी के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ सेक्स करना अवैध नहीं: मुंबई कोर्ट ने जमानत याचिका में कहा”
नवऱ्याच्या जबरस्तीमुळे मारला लकवा; पण बायकोच्या संमतीशिवाय शरीरसंबंध बेकायदेशीर नाही – कोर्टाचा निर्वाळा
पती (Husband) इच्छेविरुद्ध आणि बळजबरीने लैंगिक संबंध (Sexual Relationship) ठेवत असल्याचा आरोप करत एका महिलेनं तक्रार दाखल केली होती. मात्र, या महिलेनं केलेला आरोप कायदेशीर तपासास पात्र नाही. तसेच पती या नात्याने त्या व्यक्तीने पत्नीसोबत (Wife) काहीच चुकीचे किंवा बेकायदेशीर कृत्य केलेले नाही, अशी टिप्पणी करत मुंबई सत्र न्यायालयाने (Mumbai Court) पतीला अंतरिम जामीन (Bail)ContinueContinue reading “नवऱ्याच्या जबरस्तीमुळे मारला लकवा; पण बायकोच्या संमतीशिवाय शरीरसंबंध बेकायदेशीर नाही – कोर्टाचा निर्वाळा”
