- धारा 397 आईपीसी : पीड़ित के मन में डर या आशंका पैदा करने के लिए खुले तौर पर हथियार लहराना या दिखाना अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त : सुप्रीम कोर्टby PRASHANT V. TAYADEसुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित के मन में डर या आशंका पैदा करने के लिए अपराधी द्वारा खुले तौर पर हथियार लहराना या दिखाना आईपीसी की धारा 397Continue reading “धारा 397 आईपीसी : पीड़ित के मन में डर या आशंका पैदा करने के लिए खुले तौर पर हथियार लहराना या दिखाना अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त : सुप्रीम कोर्ट”
- सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते समय एफआईआर/शिकायत में लगाए गए आरोपों की विश्वसनीयता या सच्चाई की जांच नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्टby PRASHANT V. TAYADEसुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए एक हाईकोर्ट एफआईआर/ शिकायत में लगाए गए आरोपों की विश्वसनीयताContinue reading “सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते समय एफआईआर/शिकायत में लगाए गए आरोपों की विश्वसनीयता या सच्चाई की जांच नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट”
- सह-आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल न होना, आरोपी के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने का आधार नहीं हो सकता, जिसके खिलाफ जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की गई: सुप्रीम कोर्टby PRASHANT V. TAYADEन्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने हाल ही में बैंक को धोखा देने और संपत्ति का बेईमान से वितरण को प्रेरित करने के आपराधिक साजिश सेContinue reading “सह-आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल न होना, आरोपी के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने का आधार नहीं हो सकता, जिसके खिलाफ जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की गई: सुप्रीम कोर्ट”
- बरी करने के आदेश को तभी पलटा जा सकता है जब ट्रायल कोर्ट का दृष्टिकोण न केवल गलत हो, बल्कि अनुचित और विकृत भी हो” : सुप्रीम कोर्टby PRASHANT V. TAYADEहाईकोर्ट द्वारा ट्रायल कोर्ट के बरी करने के आदेश को पलटने के मामले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि बरी करने की अनुमति तभी दी जा सकतीContinue reading “बरी करने के आदेश को तभी पलटा जा सकता है जब ट्रायल कोर्ट का दृष्टिकोण न केवल गलत हो, बल्कि अनुचित और विकृत भी हो” : सुप्रीम कोर्ट”
- भरण-पोषणः राजस्थान हाईकोर्ट का निर्णय, मजिस्ट्रेट को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत हर महीने की चूक के लिए एक महीने तक की कैद अलग-अलग सजा सुनाने का अधिकारby PRASHANT V. TAYADEराजस्थान हाईकोर्ट ने माना है कि एक मजिस्ट्रेट को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण के आदेश का पालन न करने पर अलग-अलग सजा सुनाने का अधिकार है, औरContinue reading “भरण-पोषणः राजस्थान हाईकोर्ट का निर्णय, मजिस्ट्रेट को सीआरपीसी की धारा 125 के तहत हर महीने की चूक के लिए एक महीने तक की कैद अलग-अलग सजा सुनाने का अधिकार”
- मृत दामाद पर ‘ निर्भर ‘सास द्वारा दायर मोटर दुर्घटना दावा याचिका सुनवाई योग्य है : सुप्रीम कोर्टby PRASHANT V. TAYADEसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने मृत दामाद पर निर्भर सास द्वारा दायर मोटर दुर्घटना दावा याचिका सुनवाई योग्य है। जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंचContinue reading “मृत दामाद पर ‘ निर्भर ‘सास द्वारा दायर मोटर दुर्घटना दावा याचिका सुनवाई योग्य है : सुप्रीम कोर्ट”






